बीरपुर, उत्तराखंड: क्या एक छात्र द्वारा कक्षा में पेपर फाड़ना इतना बड़ा अपराध है कि शिक्षक उसे थप्पड़ मार दे? ऐसा ही एक मामला आर्मी पब्लिक स्कूल, बीरपुर से सामने आया है, जहाँ छठी कक्षा की छात्रा को उसकी विज्ञान की अध्यापिका ने कक्षा में थप्पड़ मारा।
सूत्रों के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब छात्रा ने कक्षा में एक पेपर फाड़ दिया। इसके बाद अध्यापिका ने यह कहते हुए छात्रा पर हाथ उठाया कि इससे अन्य बच्चों को यह संदेश मिलेगा कि कागज़ फाड़ना अनुशासनहीनता है और ऐसा करने पर शिक्षक नाराज़ हो सकते हैं। खुद शिक्षक ने इस बात को स्वीकार किया कि उन्होंने बच्चों का “ध्यान आकर्षित” करने के उद्देश्य से ऐसा किया।
जब छात्रा के माता-पिता को इस घटना की जानकारी हुई, तो उन्होंने तुरंत स्कूल प्रशासन से शिकायत की। लेकिन इस शिकायत पर प्रिंसिपल का रवैया बेहद असंवेदनशील और उदासीन बताया गया। जब माता-पिता ने कड़ा रुख अपनाया, तब जाकर प्रिंसिपल ने अध्यापिका को केवल एक “ऑफिशियल वार्निंग” देकर मामले को रफा-दफा कर दिया।
इस पूरी घटना के दौरान माता-पिता, शिक्षक और प्रधानाचार्य के बीच काफी तीखी बहस भी हुई। पर बड़ा सवाल यह है कि:
• क्या बच्चों को अनुशासन सिखाने के नाम पर शारीरिक दंड देना स्वीकार्य है?
• क्या एक पेपर फाड़ने पर सार्वजनिक रूप से थप्पड़ मारना शिक्षण का तरीका होना चाहिए?
• और आखिर, शिक्षा विभाग ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई क्यों नहीं करता?
आज भी कई निजी और पब्लिक स्कूलों में ऐसे मामले सामने आते हैं, लेकिन कड़े प्रशासनिक कदमों की कमी साफ नज़र आती है।
क्या स्कूलों को अपने शिक्षकों को कानून, बाल अधिकारों और नैतिक आचरण की जानकारी देना अनिवार्य नहीं होना चाहिए?
क्या शिक्षा विभाग को ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त निर्देश और कार्रवाई नहीं करनी चाहिए?
हम इस सवाल का जवाब आपके विवेक पर छोड़ते हैं।