HomeNational Newsअजीत डोभाल करेंगे वार्ता, फिर विदेश मंत्रियों की भी होगी मुलाकात

अजीत डोभाल करेंगे वार्ता, फिर विदेश मंत्रियों की भी होगी मुलाकात

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (India China relations) (एलएसी) पर डेमचोक में भारतीय सेना की तरफ से गश्त शुरू कर दी गई है, जबकि पिछले साढ़े चार वर्षों से विवाद का केंद्र रहे देपसांग में भी सत्यापन गश्त आरंभ हो गई है।

हालांकि, दोनों देशों के बीच मौजूदा सीमा विवाद के दीर्घकालिक व स्थायी समाधान को लेकर विशेष प्रतिनिधि (एसआर) स्तर की वार्ता शुरू करने को लेकर अभी कोई सहमति नहीं बनी है। विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की अगुआई में होनी है।

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विदेश मंत्रियों के स्तर पर भी हो सकती है बातचीत

इसके अलावा अभी दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों से जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर विदेश मंत्रियों के स्तर पर होने वाली वार्ता के बारे में भी कोई सूचना है। संकेत है कि इस बारे में अब कोई प्रगति अगले वर्ष की शुरुआत में ही होगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘चीन के साथ सैन्य वापसी संबंधी समझौते के बाद सत्यापन संबंधी पेट्रोलिंग की शुरुआत कर दी गई है। यह दोनों देशों के बीच बनी सहमति के आधार पर हो रहा है। इस बारे में आगे और जानकारी दी जाएगी।’

उन्होंने कहा कि रूस के कजान में पिछले दिनों दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच हुई बातचीत में यह तय हुआ था कि विदेश मंत्रियों के स्तर पर और दूसरे अधिकारियों के स्तर पर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने को बातचीत शुरू होगी। इस बारे में भी आगे जानकारी दी जाएगी।

चीन का बातचीत को बनाए रखने का रवैया

कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि आगे की रणनीति को लेकर अब फैसला दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के स्तर पर होने वाली बातचीत में ही होगा। दोनों पक्ष भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच जल्द ही मुलाकात की संभावना तलाश रहे हैं। भारतीय पक्ष विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत की शुरुआत को लेकर भी आशावादी है।इस स्तर पर वर्ष 2003 से ही बातचीत चल रही है और अभी तक 22 दौर की बातचीत हो चुकी है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच मौजूदा सीमा विवाद का स्थाई हल निकालना है। कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि 22 दौर की बातचीत होने के बावजूद इसकी प्रगति कोई खास नहीं है। चीन का रवैया सिर्फ बातचीत को बनाए रखने का होता है।

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