यह सच्चाई है कि हमारा दिमाग कभी भी खाली नहीं रह सकता और उसमें कोई न कोई विचार चलता ही रहता है| लेकिन कुछ लोगों को जरूरत से ज्यादा सोचने की बीमारी होती है, जिसे ओवरथिंकिंग कहा जाता है| जरूरत से ज्यादा सोचना आपके मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य को बर्बाद कर सकता है|लेकिन ब्रेन हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, कुछ टिप्स अपनाकर अपने दिमाग को काबू में किया जा सकता है और उसका सही इस्तेमाल कर सकते हैं|
दिमाग को कैसे काबू में करें?
साइकोलॉजिस्ट और बिहेवियरल थेरेपिस्ट डॉ. केतम हमदन का कहना है कि ओवरथिंकिंग यानी ज्यादा सोचना एक मनोवैज्ञानिक बीमारी है, जो आपके दिमाग का इस्तेमाल करके आपकी जिंदगी बर्बाद कर सकती है| लेकिन किसी को भी जन्म से यह समस्या नहीं होती है, इसलिए निम्नलिखित टिप्स की मदद से ज्यादा सोचने की समस्या कंट्रोल की जा सकती है|
स्टेप 1- डर को पहचानें
डॉक्टर केतम कहती हैं कि अधिकतर अनियंत्रित विचार किसी अनजान डर या चिंता के कारण आते हैं|इसलिए ज्यादा सोचने की समस्या को रोकने के लिए सबसे पहले इस डर को पहचानिए|यह किसी डर, चिंता, डिप्रेशन या असुरक्षा के भाव के कारण हो सकती है|
स्टेप 2- सबसे डरावने परिणाम को लिखें
अपने अनियंत्रित विचारों से निकलने वाले संभावित डरावने परिणाम को लिखें और उसे बार-बार पढ़ें|ऐसा करना थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन बार-बार अपने डर का सामना करने से वह आपको सामान्य महसूस होने लगेगा|यह ओवरथिंकिंग को खत्म करने का काफी मददगार तरीका है|
ज्यादा सोचना कैसे बंद करें? स्टेप 3- सबसे अच्छे पहलू को लिखें
किसी भी सिक्के के दो पहलू होते हैं|अगर आपको कोई विचार डरा रहा है, तो उसका एक सबसे डरावना परिणाम होगा और एक सबसे सुखद परिणाम होगा|आप अपने विचार से पैदा होने वाली स्थिति के संभावित अच्छे पहलू को लिखें और उसे पढ़ें| ऐसा करने से आप सकारात्मकता के करीब पहुंच पाएंगे|
स्टेप 4- थिंकिंग को डिस्टर्ब करें
जब भी आप ज्यादा सोचने लगें, तो इस प्रोसेस को डिस्टर्ब कर दें. जैसे अगर आप किसी काम को करते हुए सोचने लगे हैं, तो आप काम छोड़कर 5 मिनट माइंडफुल वॉक करें|एक्सपर्ट के मुताबिक, कई रिसर्च कहती हैं कि 5 मिनट शारीरिक गतिविधि करने से दिमाग में फील-गुड एंडोर्फिन हॉर्मोन पैदा होने लगते हैं और आप अच्छा महसूस करते हैं|
ज्यादा सोचने के कारण हो सकता है इमोशनल पैरालाइसिस
डॉ. हमदन सलाह देती हैं कि अगर आप खुद ओवरथिंकिंग को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं, तो किसी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें|क्योंकि, ज्यादा सोचने के कारण सिरदर्द, थकान, इंसोम्निया, खराब पाचन या इमोशनल पैरालाइसिस भी हो सकता है|इमोशनल पैरालाइसिस की स्थिति में इंसान मुश्किल स्थिति में कुछ बोलने, हिलने या करने में असक्षम हो सकता है|