जॉर्ज एवरेस्ट: मसूरी (George Everest Mussoorie) में चल रहा है उगाही का और जनता को प्रताड़ित करने का बड़ा खेल यह कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का। दसौनी ने कहा की कुछ समय पहले तक मसूरी के जॉर्ज एवरेस्ट का संचालन उत्तराखंड का पर्यटन विभाग कर रहा था, जॉर्ज एवरेस्ट पहुंचने वाली सड़क नगर पालिका की है।
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ऐसे में अचानक जॉर्ज एवरेस्ट से एक किलोमीटर पहले बैरिकेडिंग लगा दी गई है, गाड़ी से जॉर्ज एवरेस्ट जाने वालों को हजार रुपया टोल और पैदल जाने वालों को ₹200 टाल देना पड़ रहा है। गरिमा ने सवाल उठाया कि आखिर यह बैरिकेडिंग किसने और क्यों लगाया? इसके पीछे एक बड़ी सांठ गांठ और बड़े नेता का नाम सामने आया है।
दसौनी ने बताया की उत्तराखंड के पर्यटन विभाग द्वारा जॉर्ज एवरेस्ट का संचालन 30 सालों के लिए एक कंपनी को लीज पर दे दिया गया है, उस कंपनी में कौन-कौन पार्टनर है? यह खोजी पत्रकारों के लिए एक बहुत दिलचस्प और सन सनी खेज़ विषय हो सकता है, परंतु बड़ा सवाल यह है की मसूरी की जनता को और पर्यटकों को प्रताड़ित करने वाला या फैसला लिया किसने? नगरपालिका की सड़क पर बैरिकेडिंग किसी दूसरे को लगाने की अनुमति किसके इशारे पर दी गई? दसोनी ने कहा कि आखिर पूरे मामले पर क्यों चुप हैं
मसूरी विधानसभा के चुने हुए जनप्रतिनिधि ? गरिमा ने अंदेशा जताया की जॉर्ज एवरेस्ट में फिलहाल तो एक म्यूजियम है और जल्द ही रिसोर्ट खोलने की भी तैयारी है ,पर्यटकों को हेली सेवा के माध्यम से हिमालय दर्शन भी कराए जाते हैं हेली सेवा वाले लोग कौन हैं यह भी यक्ष प्रश्न है? दसोनी ने राज्य सरकार से अपेक्षा की है कि वह व्यक्तिगत रूप से इस पूरे मामले की छानबीन कर जनता के सामने जॉर्ज एवरेस्ट का सच लेकर आए। दसोनी ने कहा कि अगर यही चलता रहा तो बहुत जल्द उत्तराखंड का हर पर्यटक स्थल उगाही का केंद्र बन जाएगा और इस तरह से जनता पर बोझ डालने से प्रदेश के पर्यटन को बड़े पैमाने पर नुकसान होगा।