Avimukteshwarananda Saraswati: कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाली सभी दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के आदेश पर चारों तरफ से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कांवड़ रूट पर खाने पीने की दुकानों पर प्रोपराइटर का नाम लिखने के इस आदेश पर अब ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य Avimukteshwarananda Saraswati ने भी सवाल उठा दिए हैं। उनका कहना है कि इस ‘नेमप्लेट’ के कानून से फायदे से ज्यादा नुकसान होगा।
अगर दुकान का मुस्लिम मालिक है और उसके यहां काम करने वाले कर्मचारी हिंदू हैं तो क्या होगा? धर्मांतरण करने वाले भी नाम नहीं बदलते हैं, तब आप क्या करेंगे?’ ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य ने कांवड़ियों के द्वारा डीजे बजाने पर भी सवाल उठाए हैं।
दरअसल कांवड़ यात्रा को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने ये फैसला निकाला है कि इस रूट में जितनी भी खाने-पीने की दुकाने हैं, उन्हें अपने प्रोपराइट का नाम अपनी दुकानों पर लिखना होगा। हालांकि यूपी और उत्तराखंड सरकार के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की गई थी, जिसके बाद आज यानी 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी है।
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य Avimukteshwarananda Saraswati ने एएनआई को दिए बयान में कहा, ‘इस तरह के आदेश दोनों धर्मों के बीच विद्वेष बढ़ा देगा। उन्होंने कहा, ‘कांवड़ियों को समझाया जाना चाहिए था कि शास्त्र के अनुसार पवित्रता की जरूरत होती है, लेकिन आप तो डीजे बजवा रहे हैं। आप तो उन्हें उछलवा रहे हैं और कुदवा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में कांवड़ियों की धार्मिक भावना कैसे आएगी। हमें ऐसे लगता है कि इस तरह का नियम बनाने से विद्वेष फैलेगा।
उन्होंने आगे कहा, ‘आप जब हिंदू-मुसलमान की भावना तेज करेंगे तो लोगों में भेद आ जाएगा. हर समय वे चीजों को हिंदू-मुसलमान की दृष्टि से देखेंगे और उनमें कड़वाहट आएगी और टकराव पैदा होगा।
वह आगे कहते हैं, ‘जिन्होंने इस नियम को अचानक लागू किया है, कहीं न कहीं राजनीति उनके मन में है। जो इसकी व्याख्या कर रहे हैं, वह भी तो राजनीति कर रहे हैं। बांटने का काम दोनों कर रहे हैं. अच्छी व्याख्या करने के लिए विपक्ष को आना चाहिए. ऐसी परिस्थिति में संभालना किसी को नहीं है। सबको दिमाग में जहर बोना है. यह बांटो और राज करो की नीति है।