Indian Bank Loans क्षेत्र इस समय ऋण वितरण में जबरदस्त उछाल का गवाह बन रहा है। होम लोन, पर्सनल लोन और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र को दिए गए ऋणों में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है, जो देश की आर्थिक गतिविधियों में तेजी का संकेत है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की आगामी मौद्रिक नीति बैठक और रेपो दर पर उसके फैसले पर निवेशकों और कर्जदारों दोनों की निगाहें टिकी हुई हैं।
Indian Bank Loans में ऋण संबंधी अपडेट्स:
1. होम लोन में ऐतिहासिक वृद्धि और रियल एस्टेट को बूस्ट: हालिया आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बैंकों द्वारा वितरित होम लोन में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 18% की वृद्धि हुई है, जो एक दशक में सबसे अधिक है। सस्ती ब्याज दरें, सरकार की आवास योजनाएं और रियल एस्टेट सेक्टर में बढ़ता भरोसा इस वृद्धि के प्रमुख कारण हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रियल एस्टेट सेक्टर को और भी गति प्रदान करेगा।
2. पर्सनल लोन बना ग्रोथ इंजन: पर्सनल लोन की मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर युवा वर्ग और टियर-2, टियर-3 शहरों में। आसान आवेदन प्रक्रिया, फिनटेक कंपनियों की भागीदारी और त्वरित वितरण ने इस खंड को बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण ‘ग्रोथ इंजन’ बना दिया है। हालांकि, RBI ने बैंकों को पर्सनल लोन में बढ़ती वृद्धि के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी है ताकि संभावित NPA (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) के जोखिम को कम किया जा सके।
3. MSME को रिकॉर्ड ऋण, आर्थिक विकास को बढ़ावा: सरकार की विभिन्न योजनाओं और बैंकों की विशेष पहलों के कारण MSME क्षेत्र को दिए गए ऋण में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। यह वृद्धि छोटे व्यवसायों को विस्तार करने, रोजगार सृजित करने और समग्र आर्थिक विकास में योगदान करने में मदद कर रही है। बैंक अब MSME के लिए ‘डिजिटल-फर्स्ट’ अप्रोच अपना रहे हैं ताकि ऋण प्रक्रिया को और अधिक सुगम बनाया जा सके।
4. डिजिटल ऋण प्लेटफॉर्म का बढ़ता प्रभुत्व: फिनटेक कंपनियां और बैंक अब तेजी से डिजिटल ऋण प्लेटफॉर्म पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। आधार-आधारित ई-केवाईसी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से संचालित क्रेडिट स्कोरिंग और त्वरित संवितरण ने ऋण प्राप्त करने के तरीके को बदल दिया है। हालांकि, डिजिटल ऋण धोखाधड़ी को लेकर भी सतर्कता बरती जा रही है और RBI ने सख्त नियम लागू किए हैं।
5. रेपो रेट पर टिकी निगाहें: आगामी RBI की मौद्रिक नीति बैठक में रेपो दर पर लिया जाने वाला फैसला महत्वपूर्ण होगा। यदि RBI रेपो दर में कमी करता है, तो बैंकों के लिए ऋण देना और सस्ता हो जाएगा, जिससे ऋण वृद्धि को और बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, बढ़ती महंगाई और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं RBI के लिए चुनौती बनी हुई हैं।
6. गोल्ड लोन की बढ़ती लोकप्रियता: आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच, गोल्ड लोन की लोकप्रियता भी बढ़ी है। लोग आपातकालीन जरूरतों और व्यावसायिक विस्तार के लिए सोने को गिरवी रखकर त्वरित ऋण प्राप्त कर रहे हैं। बैंक और NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) दोनों इस सेगमेंट में सक्रिय हैं।
यह सभी रुझान भारतीय अर्थव्यवस्था में ऋण की बढ़ती भूमिका और बैंकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाते हैं।