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हरतालिका तीज पर जरूर करें इस कथा का पाठ

नई दिल्ली। सनातन धर्म में कुंवारी लड़कियों और सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। यह व्रत निर्जला किया जाता है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। पंचांग के अनुसार, वर्ष 2024 में यह व्रत 06 सितंबर को किया जाएगा। इस शुभ तिथि पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत कथा का पाठ न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। इसलिए पूजा के दौरान कथा का पाठ करना न भूलें। आइए पढ़ते हैं हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2024 Vrat Katha) की व्रत कथा।

हरतालिका तीज व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, हिमालय राज के परिवार में मां सती ने पुनः शरीर धारण करके मां पार्वती के रूप में जन्म लिया। हिमालय राज ने मां पार्वती की शादी जगत के पालनहार भगवान विष्णु से कराने का निर्णय कर लिया था। परंतु मां पार्वती पूर्व जन्म के प्रभाव की वजह से मन में ही महादेव को अपने पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थीं। लेकिन माता सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव तपस्या में लीन थे, जिसकी वजह से वह तपस्वी बन गए थे।

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माता पार्वती का हरण और तपस्या

मां पार्वती जी की सखियों ने उनका हरण कर लिया। क्योंकि पिता के निश्चय से असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जिसके बाद मां पार्वती को हिमालय की कंदराओं में छिपा दिया। इसके बाद मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की। उनकी तपस्या को देख महादेव प्रसन्न हुए और मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

इसी वजह से कुवांरी लड़कियां मनचाहे वर की प्राप्ति और सुहागिन महिलाएं अखण्ड़ सौभाग्य पाने के लिए हरतालिका तीज (Hartalika Teej Vrat katha Time) व्रत करती हैं और महादेव के संग मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करती हैं।

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