देहरादून: गोवा सरकार ने ह्यूमैन्स फॉर ह्यूमैनिटी के संस्थापक अनुराग चौहान को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए हेल्थ एंड वेल-बीइंग अवॉर्ड से सम्मानित किया। यह सम्मान गोवा सरकार के सामाजिक कल्याण मंत्री सुभाष फाल देसाई द्वारा दरबार हॉल, राजभवन, गोवा में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया। यह सम्मान उनके वॉश (वीमेन सैनिटेशन हाइजीन) प्रोजेक्ट के राष्ट्रव्यापी प्रभाव को मान्यता देते हुए दिया गया।
देहरादून में जन्मे और पले-बढ़े अनुराग चौहान ने मात्र 14 वर्ष की आयु में सामाजिक कार्यों की यात्रा शुरू की थी। आज वे मासिक धर्म स्वास्थ्य जागरूकता के प्रमुख समर्थकों में से एक बन चुके हैं। उनके निरंतर प्रयासों के कारण उन्हें ‘इंडिया के पैडमैन’ और ‘पैड वॉरियर’ की उपाधियाँ भी मिली हैं। ये उपाधियाँ उनके द्वारा समाज में मासिक धर्म से जुड़े संवाद को सामान्य बनाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के अथक प्रयासों को दर्शाती हैं।

पुरस्कार प्राप्त करने के अवसर पर अनुराग चौहान ने कहा कि मासिक धर्म स्वास्थ्य एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह अभी भी एक उपेक्षित संकट बना हुआ है। उन्होंने बताया कि जागरूकता और सुविधाओं की कमी के कारण आज भी लाखों महिलाएँ अपनी गरिमा, शिक्षा और समग्र विकास से वंचित हो रही हैं। गोवा सरकार द्वारा मिले इस सम्मान पर आभार प्रकट करते हुए उन्होंने यह पुरस्कार अपनी पूरी टीम को समर्पित किया, जो देशभर में यह सुनिश्चित करने के लिए समर्पित रूप से कार्य कर रही है कि मासिक धर्म किसी के भी विकास में बाधा न बने।
वॉश प्रोजेक्ट की शुरुआत 2014 में देहरादून से हुई थी और अब तक यह सात राज्यों में काम करते हुए 4.5 मिलियन से अधिक लोगों को लाभान्वित कर चुका है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत गाँवों, झुग्गी-बस्तियों और शैक्षणिक संस्थानों में व्यापक स्तर पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं, जहाँ महिलाओं, किशोरियों और ट्रांस पुरुषों को मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के बारे में शिक्षित किया जाता है और मासिक धर्म से जुड़े मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया जाता है। यह प्रोजेक्ट पर्यावरण-अनुकूल और बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ-साथ लोगों को इनके निर्माण का प्रशिक्षण भी देता है, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें। इसके अलावा, इस प्रोजेक्ट के तहत कॉरपोरेट और अकादमिक क्षेत्रों में भी मासिक धर्म जागरूकता को एक प्रमुख सामाजिक विषय के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही, पीरियड पावर्टी को समाप्त करने के लिए नीति-स्तर पर बदलाव लाने हेतु भी पहल की जा रही है।




