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मार्च 2026 से पहले देश से वामपंथी उग्रवाद पूरी तरह खत्म हो जाएगा: अमित शाह

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah’s meeting in Chhattisgarh)ने छत्तीसगढ़ और उसकी सीमाओं से सटे राज्यों के पुलिस महानिदेशकों और मुख्य सचिवों के साथ नक्सल विरोधी ऑपरेशन की समीक्षा के दौरान स्पष्ट कर दिया कि मार्च 2026 से पहले देश से वामपंथी उग्रवाद पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

                                           

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साथ ही, शाह ने वामपंथी उग्रवाद में शामिल युवाओं से अपील किया कि वे हिंसा का त्याग करें और विकास के महायज्ञ में शामिल हों। बीते कुछ वर्षों पर नजर डालने से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में रूथलैस अप्रोच के साथ वामपंथी उग्रवाद के पूरे इकोसिस्टम को ध्वस्त करने की लड़ाई अब अपने अंतिम चरण में है।

शाह की सटीक रणनीति के तहत पिछले 8 महीने में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ जोरदार तरीके से ऑपरेशन को अंजाम दिया गया, जिसका नतीजा है कि 147 नक्सली मुठभेड़ में मारे गए, 631 ने सरेंडर किया और 723 को गिरफ्तार किया गया। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के नए शिविर की स्थापना, उनकी तैनाती और उनके द्वारा विकास कार्यों की निगरानी से पता चलता है

कि यह लड़ाई अब निर्णायक दौर में है। दशकों से देश के विकास में नासूर बने वामपंथी उग्रवाद में लिप्त युवाओं को आत्मसमर्पण का मौका देना शाह की पहली प्राथमिकता है। जिसके कारण वामपंथी उग्रवाद की विचारधारा के बदले विकास के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। अमित शाह की रणनीतियों के तहत वामपंथी उग्रवाद से पीड़ित क्षेत्रों में विकास में हुई कमी और सुरक्षा की खाई को पाटने के लिए ज़ोर-शोर से काम किया जा रहा है।

देश की सुरक्षा के लिए कटिबद्ध अमित शाह की योजनाओं का ही कमाल है कि 2019 से 2024 के दौरान कई राज्य वामपंथी उग्रवाद से लगभग पूरी तरह मुक्त हुए हैं। दरअसल, वामपंथी उग्रवाद को सीमित करना और उसे खत्म करना देश के सुरक्षा बलों और लोकतंत्र की जीत है। मोदी सरकार में शाह की नीतियों के तहत वामपंथी उग्रवाद के वित्तीय पोषण को ध्वस्त करने के लिए केंद्र और राज्यों की एजेंसियाँ साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

साल 2010 में जहाँ मृत्यु की संख्या सर्वाधिक 1,005 दर्ज की गई थी, वहीं यह संख्या 2023 में घटकर 138 रह गई। भारतीय राजनीति को नई पहचान दिलाने वाले अमित शाह के कुशल नेतृत्व में गृह मंत्रालय और छत्तीसगढ़ सरकार एक ऐसा अभियान चलाने जा रही है जिसके तहत वामपंथी उग्रवाद के कारण निरक्षर रह गए लोगों को शिक्षा प्रदान की जाएगी। आज अमृतकाल में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में विकास को गति देने के लिए सड़क निर्माण, दूरसंचार, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर निर्णायक कदम उठाए जा रहे हैं।

शाह ने वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ शुरुआत से ही जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई हुई है, जिसके परिणामस्वरूप साल 2022 में बीते 4 दशकों के मुकाबले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सबसे कम हिंसा और मौतें दर्ज की गई हैं। वामपंथी उग्रवाद देश में कई दशकों से एक चुनौती के रूप में व्याप्त रहा है। दो वर्षों के अंदर वामपंथी उग्रवाद को पूरी तरह समाप्त करने के संकल्प के इस वर्ष में ऐसा लगता है कि अब यह लड़ाई निर्णायक दौर में आ चुकी है। नक्सलवाद को मानवता के लिए अभिशाप मानने वाले भाजपा के दिग्गज नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसके सभी रूपों को उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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