देहरादून। उत्तराखंड राज्य के गठन के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, राजधानी देहरादून में एक दिवसीय महत्वपूर्ण विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। ब्रह्मकमल शक्ति संस्था और दून डायलॉग द्वारा दून लाइब्रेरी में आयोजित इस कार्यक्रम का शीर्षक “उत्तराखंड एक विचार – देवभूमि के 25 वर्षों का चिंतन” था।
गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025 को आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री, विधायक, पद्मश्री से सम्मानित लोक कलाकार, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न क्षेत्रों की विशिष्ट हस्तियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पिछले ढाई दशकों में राज्य की उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य के विकास की रूपरेखा पर गहन विमर्श करना था।

शहीदों को नमन, आपदा पीड़ितों को श्रद्धांजलि
गोष्ठी की शुरुआत उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को नमन करते हुए और विगत 25 वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हुई।
ब्रह्मकमल शक्ति संस्थान के अध्यक्ष और दून डायलॉग के संयोजक अभिनव थापर ने बताया कि राज्य के रजत जयंती वर्ष में प्रवेश करने से पहले, यह विचार गोष्ठी आवश्यक थी ताकि सभी क्षेत्रों के अनुभवों को मिलाकर एक लाभदायक रोडमैप तैयार किया जा सके।

तीन सत्रों में बंटा चिंतन
कार्यक्रम को तीन अलग-अलग सत्रों में विभाजित किया गया, जिसमें उत्तराखंड के मूल विषयों पर परिचर्चा हुई:
सत्र 1: पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी
इस सत्र में गंगा –हिमालय बचाओ अभियान के संस्थापक किशोर उपाध्याय (विधायक) और स्वामीराम हिमालय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेंद्र डोभाल ने विचार रखे। वक्ताओं ने टिहरी बांध, दूनघाटी एक्ट को प्रभावी बनाने, गंगा–हिमालय के संरक्षण और तकनीक आधारित रोजगार सृजन पर ज़ोर दिया। सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने सत्र का संचालन किया।
सत्र 2: रोजगार, युवा और राजनीतिक/आर्थिक परिदृश्य
सबसे अधिक बहस रिवर्स पलायन, हिमालय नीति और मैदान-पहाड़ के संतुलित विकास की नीति पर हुई। इस सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य की आर्थिक नीतियों पर अपनी चिंताएं व्यक्त की। उनके साथ पूर्व मेयर व विधायक विनोद चमोली और उक्रांद के केंद्रीय उपाध्यक्ष शांति प्रसाद भट्ट ने आपदा नियंत्रण और जल संसाधन प्रबंधन पर भविष्य के रोडमैप पर चिंतन किया। सत्र का संचालन अभिनव थापर ने किया।
सत्र 3: लोक संस्कृति, परंपरा और महिला सशक्तिकरण
इस भावनात्मक सत्र में पद्मश्री लोक गायक बसंती देवी और लोक गायक सौरभ मैठाणी ने लोक संस्कृति और कलाकारों के संघर्ष पर बात की। राज्यमंत्री विनोद उनियाल और हाईकोर्ट की अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी ने महिलाओं की राजनीति में भागीदारी, यौन उत्पीड़न और एसिड अटैक जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार रखे। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित रंगकर्मी डॉ. राकेश भट्ट ने इस सत्र का संचालन किया।

 
            
 
		 
                                    
