HomeDehradunकिस सरकार में घटी उत्तराखंड की कृषि भूमि? : गरिमा मेहरा दसौनी

किस सरकार में घटी उत्तराखंड की कृषि भूमि? : गरिमा मेहरा दसौनी

देहरादून। उत्तराखंड में लंबे समय से सख्त भू कानून की मांग (demand for land law) चल रही है परंतु डबल इंजन और प्रचंड बहुमत की सरकार जनता को इस मुद्दे पर लगातार बेवकूफ बना रही है यह कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का। दसौनी ने कहा की उत्तराखंड गठन के समय से ही उत्तराखंड की जनता की कुछ मूलभूत मांगे रही है जो आज भी यथावत बनी हुई है।

पूर्णकालिक राजधानी के रूप में गैरसैण, मजबूत लोकायुक्त, सख्त भू कानून और मूल निवास के मुद्दे उत्तराखंड की जनता के लिए कमजोर नब्ज बने हुए हैं। गरिमा ने कहा की विकास की आस में जनता ने भाजपा को प्रचंड नहीं प्रचंडतम बहुमत दिया परंतु विडंबना है की यह चारों मुद्दे आज भी यथावत बने हुए हैं। अब प्रदेश में भू कानून को लेकर राजनीतिक रोटियां सेंकने का सिलसिला एक बार फिर चल पड़ा है।

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मुख्यमंत्री की प्रेस वार्ता के बाद सभी मंत्री एक एक करके जनता की भावनाओं के अनुरूप भू कानून देने की बात कर रहे हैं। दसौनी ने भाजपा से सवाल किए हैं की प्रदेश की जनता को बताएं कि राज्य गठन पर जो कृषि भूमि 7.70 लाख हेक्टेयर थी वह 2024 में घर कर 5.68 लाख हेक्टेयर कैसे रह गई? कृषि भूमि में 27% की गिरावट क्यों और किसके कार्यकाल में सर्वाधिक हुई?

दसौनी ने कहा कि बकौल कृषि विभाग आज जो 5.68 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि प्रदेश के पास है जिसमें से 2.28 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर्वतीय अंचलों में है और 2.87 लाख हैक्टेयर भूमि मैदानी क्षेत्र में है, इस 5.68 लाख हेक्टेयर भूमि में से मात्र 3.3 लाख हैक्टेयर भूमि में ही सिंचाई की व्यवस्था है ?क्या यही है डबल इंजन का विकास? क्या ऐसे ही करेगा डबल इंजन किसानो की आय दोगुनी?

दसौनी ने धामी सरकार से यह भी पूछा की पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार को तो जमींदारी उन्मूलन अधिनियम में संशोधन करने के लिए खूब कोसा जा रहा है कोसना भी चाहिए, परंतु धामी सरकार में बैठे हुए अधिकारी और मंत्री यह बताएं कि लैंड यूज क्यों बदला गया? पहले की सरकारों में उद्योगों द्वारा भूमि जिस प्रयोजन के लिए ली जाती थी 2 साल के भीतर उन्हें उस प्रयोग में लाना ही होता था,

ऐसा न करने पर वह भूमि स्वत राज्य सरकार में निहित हो जाया करती थी, परंतु धामी सरकार ने प्रदेश के मद्देनजर आत्मघाती निर्णय लेते हुए उद्योगों को लैंड यूज की वह शर्त हटा दी। जिससे आने वाले समय में उत्तराखंड को भारी नुकसान हो सकता है। गरिमा ने अंकिता भंडारी प्रकरण याद दिलाते हुए कहा

कि विनोद आर्य को भी निशंक सरकार में दवाइयों की फैक्ट्री बनाने के लिए भूमि दी गई थी और विनोद आर्य ने सबकी आंखों में धूल झोंकते हुए वहां वनंतरा रिजॉर्ट खोल दिया जिसका खुलासा अंकिता की मौत के समय पर हुआ।गरिमा ने कहा की क्या धामी जी यही चाहते हैं कि और लोग भी इसी तरह से उत्तराखंड को अपनी ऐशगाह बनाने का काम करें और यहां जगह-जगह रिसॉर्ट और पिकनिक स्पॉट खुल जाए?

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