HomeDehradunडब्ल्यूआईसी इंडिया ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय बधिर सप्ताह

डब्ल्यूआईसी इंडिया ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय बधिर सप्ताह

देहरादून: वर्ल्ड इंटीग्रिटी सेंटर (डब्ल्यूआईसी) इंडिया, (WIC India) देहरादून ने अपने परिसर में अंतर्राष्ट्रीय बधिर सप्ताह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दुनिया भर में बधिर समुदाय की समृद्ध संस्कृति और योगदान को पहचानना और सम्मानित करना था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीता राम नौटियाल मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत औपचारिक दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई, जिसके बाद जी.वी. रेड्डी द्वारा प्रेजेंटेशन देखी गई।

बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निंग के छात्रों ने ‘वंदे मातरम’ पर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। उन्होंने बधिर संस्कृति के प्रति जागरूकता पर एक मनमोहक नाटक भी प्रस्तुत किया। नन्ही दुनिया के छात्रों ने गढ़वाली नृत्य प्रस्तुत कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम के दौरान तरुण, श्वेता, ख्वाहिश और आशीष ने भी प्रेजेंटेशन दीं। कार्यक्रम के दौरान भाग लेने वाले छात्रों के लिए एक पेंटिंग और क्विज़ प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।

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ड्राइंग प्रतियोगिता जूनियर वर्ग में नन्ही दुनिया की जानवी ने प्रथम, अनुश्रुति एकेडमी फॉर डेफ रुड़की की आरुषि ने द्वितीय और बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निंग के ओजस डोभाल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। सीनियर वर्ग में अनुश्रुति एकेडमी फॉर डेफ रुड़की के आदित्य ने प्रथम, नन्ही दुनिया के सूरज ने द्वितीय और बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निंग के हिमांशु ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम के दौरान रोल मॉडल पुरस्कार भी प्रदान किए गए।

कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि गीता राम नौटियाल ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय बधिर सप्ताह मनाने वाले आज के इस कार्यक्रम ने समावेशिता, पहुंच और सभी के लिए संवाद करने के अधिकार के महत्व पर प्रकाश डाला। मैं इस तरह के अद्भुत कार्यक्रम की मेजबानी करने के लिए डब्ल्यूआईसी का आभार व्यक्त करता हूँ ।” डब्ल्यूआईसी इंडिया के निदेशक सचिन उपाध्याय और अंकित अग्रवाल ने कार्यक्रम की मेजबानी पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “अंतर्राष्ट्रीय बधिर सप्ताह के उपलक्ष्य में आज के कार्यक्रम की मेजबानी करके हम बेहद प्रसन्न हैं।

कार्यक्रम का उद्देश्य बधिर व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और संचार के मूलभूत पहलू के रूप में सांकेतिक भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना था। हम इस महत्वपूर्ण उद्देश्य का समर्थन करने के लिए यहां उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद करते हैं।”

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