Thursday, September 19, 2024
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महिलाओं को नाइट ड्यूटी से नहीं रोक सकते, उन्हें सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court On Women Safety) ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार की उस अधिसूचना पर कड़ी आपत्ति जताई जिसमें महिला डॉक्टरों की रात्रि ड्यूटी से परहेज और उनकी ड्यूटी 12 घंटे से ज्यादा न होने की बात कही गई थी। कोर्ट ने कहा महिलाओं को रात्रि ड्यूटी करने से कैसे रोका जा सकता है। किसी भी महिला से यह नहीं कहा जा सकता कि तुम रात्रि ड्यूटी नहीं कर सकतीं।

डॉक्टर, पायलेट, सशस्त्र बल सभी जगह रात्रि ड्यूटी होती है। महिला डॉक्टर हर परिस्थिति में काम करने को तैयार है और उन्हें हर परिस्थिति में काम करना चाहिए। महिलाएं रियायत नहीं बल्कि समान अवसर चाहती हैं। उन्हें रात्रि ड्यूटी से नहीं रोका जा सकता। उन्हें सुरक्षा प्रदान करना राज्य का कर्तव्य है।

देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया

शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि उसे अपनी अधिसूचना ठीक करनी चाहिए। इसके अलावा कोर्ट ने अस्पतालों में सुरक्षा के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ठेके पर सुरक्षा कर्मी रखने पर भी सवाल उठाए। ये टिप्पणियां और निर्देश प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर से दरिंदगी और हत्या के मामले में सुनवाई के दौरान मंगलवार को दिये। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है।

सिब्बल ने पीठ को भरोसा दिलाया

कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की पैरोकारी कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि आप महिलाओं से नहीं कह सकते कि वे रात्रि ड्यूटी न करें। ये उनके कैरियर के लिए नुकसानदेह होगा। राज्य का कर्तव्य है कि वह उन्हें सुरक्षा मुहैया कराए। महिलाएं कोई विशेष रियायत नहीं मांग रहीं वे बराबरी के अवसर चाहती हैं। सिब्बल ने पीठ को भरोसा दिलाया कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा जो महिलाओं की समानता को प्रभावित करती होगी।

कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा पर उठाए सवाल

हालांकि उन्होंने कहा कि 12 घंटे से ज्यादा ड्यूटी न होने की बात अनिवार्य न की जाए। इस पर पीठ का कहना था कि ड्यूटी के घंटे सभी डॉक्टरों के लिए तर्कसंगत होने चाहिए। अस्पताल में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा ठेके पर सुरक्षा कर्मी रखे जाने के निर्णय पर पर भी कोर्ट ने सवाल उठाया। चीफ जस्टिस ने कहा कि यहां पर मुद्दा डॉक्टरों की सुरक्षा का है। ठेके के सुरक्षाकर्मियों पर कैसे भरोसा किया जा सकता है। डॉक्टर से दरिंदगी का आरोपी सिविल डिफेंस का ही व्यक्ति है।

डॉक्टरों से काम पर लौटने का अनुरोध

कोर्ट ने कहा कि राज्य की पुलिस को सुरक्षा में लगाया जाना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि इनकी भी पूरी तरह जांच होती है। इसके अलावा वहां पुलिस और सीआरपीएफ तो तैनात रहेगी ही। सुरक्षा व्यवस्था ठीक करने का भरोसा दिलाते हुए सिब्बल ने जूनियर डॉक्टरों के काम पर लौटने का अनुरोध किया, साथ ही कोर्ट को भरोसा दिलाया कि अगर डॉक्टर काम पर वापस लौटते हैं तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

पेन ड्राइव में रिकॉर्डिंग

सुनवाई के दौरान सीबीआइ को सिर्फ 27 मिनट का सीसीटीवी फुटेज देने का मुद्दा भी उठा लेकिन सिब्बल ने कहा कि इसके अलावा पेन ड्राइव में रिकॉर्डिंग सीबीआइ को दी गई है। पोस्टमार्टम चालान फार्म के बारे में सिब्बल ने कहा कि उसका प्रयोग 1997 से बंद है हालांकि राज्य सरकार भारत सरकार द्वारा जारी स्टैंडड ऑपरेटिंग सिस्टम का अनुकरण करती है और रिक्वीजीशन भेजती है। पिछली सुनवाई पर पोस्टमार्टम चालान का मुद्दा उठा था।

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