सर्दियों की एक सुबह है और सरयू नदी के किनारे राम की पैड़ी पर सैकड़ों श्रद्धालु सुबह के स्नान में व्यस्त हैं| जो नदी में डुबकी लगा कर उगते सूरज को प्रणाम कर लेते हैं, वे शहर की तरफ़ पैदल ही निकल जाते हैं|यहां से थोड़ी दूर, कड़ी सुरक्षा के बीच विशाल राम मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है|अयोध्या आने वाले सभी भक्त लाइन लगाकर राम के दर्शन करते है|राम की पैड़ी पर मौजूद दर्जनों मंदिरों में से एक ‘प्राचीन सरयू मंदिर’ के भीतर एक महिला आरती कर रही थीं|आरती ख़त्म कर महंत सुमन पाठक ने कहा, “आज की दुनिया में जो दिखता है वो बिकता है|लोग भव्यता के पीछे भाग रहे है, भगवान के पीछे नहीं|”सुमन अपने परिवार की सातवीं पीढ़ी हैं जो इस मंदिर में पूजा-अर्चना और इसकी देख-रेख करती रही हैं|
दरअसल, सुमन पाठक जिस ‘भव्यता’ की ओर इशारा कर रही हैं, वो राम की पैड़ी पर साफ़ दिखती है|2017 में उत्तर प्रदेश चुनाव जीतने के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार ने यहां के घाटों और सभी बड़े मंदिरों को एक नई शक़्ल देते हुए इनका रंग रोगन करवाया| इनकी मरम्मत करवाई|राम की पैड़ी से शहर के भीतर जाने वाली कई गलियाँ भी हैं| एक गली में घुसते ही सामने की तरफ़ ‘भागलपुर मंदिर’ का मुख्य द्वार दिख जाता है |जर्जर से फाटक को खोल कर भीतर पहुँचने पर मुलाक़ात पुजारी अयोध्या दास से हुई|उन्होंने बताया, “ये 150 साल पुराना मंदिर है और भीतर के अहाते में पहले 200-300 तक श्रद्धालु आते थे और रुकते थे|अब सिर्फ़ हम तीन लोग इस वीराने में रहते हैं|कुआँ सूख चुका है, कुछ छतें गिर रही हैं| जब श्रद्धालु ही नहीं आते तो जिस तरीक़े से भगवान चला रहे हैं, उस तरीक़े से हमलोग चला रहे हैं|जो है उसी में गुज़र-बसर किया जाएगा| प्रसाद नहीं चढ़ा सकेंगे तो पानी पीकर सोएंगे|”जब से बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आया, तब से अयोध्या के बीचोंबीच विशालकाय राम मंदिर का निर्माण कार्य जारी है|दुनिया भर से भक्त करोड़ों रुपए दान कर चुके हैं|लेकिन इसी अयोध्या में क़रीब 175 मंदिर ऐसे भी हैं, जिन पर ध्यान नहीं दिया गया तो इन पुराने मंदिरों के खंडहर भी शायद नहीं बचेंगे|