देहरादून, देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल (DDLF) के सातवें संस्करण का दूसरा दिन दून इंटरनेशनल स्कूल में रचनात्मक संवादों और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों से भरपूर रहा। “वसुधैव कुटुम्बकम – वॉइसेज़ ऑफ़ यूनिटी” की थीम के तहत आयोजित इस महोत्सव में साहित्य, सिनेमा, संगीत और राष्ट्र निर्माण पर देश के प्रतिष्ठित नामों ने अपने विचार साझा किए।
महिला नेतृत्व और राष्ट्र निर्माण पर मुख्यमंत्री का संबोधन
दूसरे दिन की शुरुआत “विमेन इन पावर – लीडिंग द चार्ज” सत्र से हुई, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और लेखिका वेनू अग्रहरी ढींगरा ने भारत में महिला नेतृत्व के बदलते स्वरूप पर चर्चा की।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड की महिलाएँ हमेशा से साहस, संघर्ष और जिम्मेदारी का उदाहरण रही हैं। उन्होंने वेनू ढींगरा से राज्य की महिलाओं के संघर्ष पर पुस्तक लिखने का आग्रह किया।

धामी ने ‘यह दशक उत्तराखंड का दशक होगा’ प्रधानमंत्री मोदी के कथन को दोहराते हुए कहा कि उज्ज्वला योजना और स्व-सहायता समूहों की मजबूती ने महिलाओं के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया है।
उन्होंने Gen Z से राजनीति और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय दिलचस्पी लेने का आह्वान किया और कहा कि नेता को आचरण में सहज, लेकिन निर्णय लेने में ईमानदार और दृढ़ होना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी गीता धामी ने वेनू अग्रहरी ढींगरा की पुस्तक ‘लीडिंग लेडीज़ – द न्यू वेव ऑफ फीमेल पोलिटिशियंस’ का विमोचन किया।

वेनू अग्रहरी ढींगरा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दृढ़ता, गरिमा और उम्मीद की शक्ति का असाधारण प्रतीक बताया।
सिनेमा, संगीत और लोक कला की गहरी छाप
महोत्सव में कला जगत की दिग्गज हस्तियों ने अपनी रचनात्मक यात्रा और सामाजिक सरोकार पर बात की।
विशाल भारद्वाज ने “ऑफ़ मेटाफ़र्स एंड मेलोडीज़” सत्र में अपनी फिल्म मेकिंग और संगीत रचना के मेल पर विचार रखे।
प्रख्यात गायिका रेखा भारद्वाज और मालिनी अवस्थी ने “गाँव, घर, गाथा – द फोक रूट्स ऑफ़ इंडिया” में भारतीय लोक संगीत की आत्मा और उसकी कहानियों को उजागर किया।
अभिनेत्री शेफाली शाह ने लेखक अक्षत गुप्ता के साथ “द वुमन इन द फ्रेम– शेफाली शाह’ज़ सिनेमा” में अपने सशक्त किरदारों और सशक्तिकरण की प्रक्रिया पर विस्तृत चर्चा की।
नंदिता दास, आदिल हुसैन और लीना यादव ने “द अल्टरनेट एक्ट” सत्र में सिनेमा के सामाजिक प्रभाव और उसके मानवीय दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
इतिहास, साहित्य और सभ्यतागत विमर्श सत्र हुए:
कवयित्री अनामिका ने अपनी कृति ‘त्तृण धरि ओट’ (सीता’ज़ नैरेटिव) पर चर्चा की, जिसके बाद इसके अंग्रेज़ी अनुवाद का विमोचन हुआ।
इतिहासकार सैम डालरिम्पल ने “फ्रॉम फ्रैक्चर टू कॉन्टिन्यूम – द मेनी पार्टिशन्स ऑफ़ अवर लैंड” में विभाजन के बहुआयामी पहलुओं और वर्तमान पहचान पर उसके प्रभाव की विवेचना की।
कवि–राजनयिक अभय के ने स्पेन के राजदूत जुआन एंटोनियो मार्च पुजोल के साथ मिलकर वैश्विक सहयोग और सांस्कृतिक संवेदना पर चर्चा की।
स्वरूप संपत रावल ने “इजुकेशन विद अ हार्ट” सत्र में सीखने की प्रक्रिया को संवेदनशीलता और जिज्ञासा से जोड़ने का दृष्टिकोण साझा किया।सत्र हुए



