प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का नाम तो आपने सुना ही है|आजकल इस योजना को लेकर उत्तराखंड के किसानो में हड़कंप मचा हुआ है|आरोप है कि पिछले दो सालों से तापमान के आंकड़ो में गड़बड़ी कर किसानों के करोड़ो रुपयों के हक पर डाका डाला जा रहा है| फर्जीवाड़े के इस आरोप को लेकर सड़क से लेकर विधान सभा और लोक सभा तक सवाल उठने के बाद अब यह मुद्दा उत्तराखंड हाई कोर्ट के पास जनहित याचिका के रूप में पहुंचा है और इस पर 9 मार्च 2022 को सुनवाई है|सोचने वाली बात ये है कि जिस बीमा कंपनी पर तापमान में गड़बड़ी कर किसानों का हक मारने का आरोप लग रहा है, वो गुजरात में पहले से ही बैन है|अंतरिम जांच रिपोर्ट आदि में गड़बड़ी आदि की बात साफ तौर पर मान ली गई है|आइए इसकी पूरी कहानी बताते हैं|फसलों पर मौसम की मार के नुकसान से किसानों को बचाने के लिए भारत सरकार ने फरवरी, 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के अंतर्गत पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) की शुरुआत की थी|
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योजना का संचालन भारत सरकार के कृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों और बीमा कंपनियों के माध्यम से किया जाता है. उत्तराखंड राज्य में यह योजना उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा चलाई जा रही है|हरिद्वार निवासी अजीत सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नैनीताल जिले के 42 हजार 300 किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत खरीफ की फसल का 2020 में एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कम्पनी से बीमा कराया था|लेकिन डेटा उपलब्ध कराने वाली कम्पनी मुम्बई द्वारा गलत आंकड़े दिए गए|जिसकी वजह से जिले के किसानों को फसल बीमा का बहुत कम पैसा दिया गया और किसी किसान को दिया ही नहीं गया|जब इसकी शिकायत पीएमओ से की गई तो यह मामला संसद में भी उठा|किसानों द्वारा एसबीआई जनरल इन्सुरेंस और कम्पनी के खिलाफ कार्यवाही करने और किसानों को हुए नुकसान का पैसा दिलाए जाने की मांग जनहित याचिका में की है|