22 महीनों के लंबे वक़्त के बाद पश्चिम बंगाल में प्राइमरी क्लास के बच्चे अब स्कूल जाने लगे हैं|कक्षा सातवीं में पढ़ने वाले अनमोल साव अपनी क्लास में पहली बेंच पर बैठे हैं| उनके शिक्षक उनसे कहते हैं कि वो पूरी क्लास को किताब से कुछ पंक्तियां पढ़ कर सुनाएं| अनमोल उत्सुकता से अपनी बेंच से उठते हैं और अंग्रेज़ी किताब का एक छोटा-सा पैराग्राफ़ पूरी क्लास को सुनाते हैं|बीबीसी से अनमोल साव ने बताया कि ऑनलाइन क्लास में उन्हें बहुत परेशानी होती थी क्योंकि स्कूल से मिलने वाला काम वो नहीं समझ पाते थे|उन्होंने कहा, “स्कूल में मेरे बहुत सारे दोस्त हैं और अब पढ़ाई भी समझ में आ रही है अच्छा लग रहा है|अनमोल स्कूल तो आने लगे हैं लेकिन फ़िलहाल यहां उनकी पढ़ाई उस तरह से नहीं हो रही है जैसा कि कोरोना लॉकडाउन से पहले होती है|दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार ने कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए बच्चों की पढ़ाई के लिए एक ख़ास अभियान चलाया है, जिसे पाड़ाय शिक्षालय अभियान कहा जाता है|इसके तहत बच्चे स्कूल तो आते हैं लेकिन वो क्लास-रूम में बैठने की जगह स्कूल के ही कैम्पस में खुली जगह में पढ़ाई करते हैं|मीता पंडित के तीन बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ते हैं| उनके बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं हो पाए क्योंकि उनके पास स्मार्टफ़ोन नहीं था|मीता ने कहा, घर में ये लोग पढ़ने नहीं बैठ रहे थे|स्कूल में जो बच्चे पढ़ते हैं वो घर में नहीं हो पाता|अब रोज़ सुबह खाना खाकर वो ख़ुद ही तैयार हो जाते हैं स्कूल जाने के लिए|अनमोल श्री मानधारी हाई स्कूल में पढ़ते हैं| ये स्कूल पश्चिम बंगाल के राजधानी कोलकाता से क़रीब 55 किलोमीटर दूर कांचरापाड़ा नामक शहर में है| राज्य के अन्य स्कूलों की तरह यहां भी पाड़ाय शिक्षालय अभियान की शुरुआत हुई है|यहां स्कूल के प्रांगण में ही पेड़ों की छाया में बच्चों के लिए बेंच और ब्लैकबोर्ड का इंतज़ाम किया गया है|
पश्चिम बंगाल में बच्चों को स्कूलों तक ला रहा पाड़ाय शिक्षालय
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