देहरादून। इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून (IMA) में शनिवार को पासिंग आउट परेड हुई। जेंटलमैन कैडेट्स के मार्चिंग बूटों की गूंज और गौरवान्वित परिवारों की जय-जयकार कई सपनों के हकीकत में बदलने की तस्दीक कर रही थी। भारतीय सेना में नए कमीशन पाने वाले नए अधिकारियों में मदुरै के एक छोटे से गांव मेलुर के रहने वाले 23 वर्षीय लेफ्टिनेंट कबीलन वी भी शामिल थे।
कबीलन वी को लेफ्टिनेंट बनते देखने के लिए उनके पिता वेट्रिसेल्वम भी पहुंचे थे। व्हीलचेयर पर बैठे वेट्रिसेल्वम के लिए यह जीवन के सबसे खूबसूरत और अद्भुत पलों में से एक था। तीन महीने पहले वह स्ट्रोक से पैरालाइज हो गए थे। इसलिए वह बेटे की इस कामयाबी को चुपचाप देखते हुए ही सेलिब्रेट कर सकते थे।
लेफ्टिनेंट कबीलन वी के पिता वेट्रिसेल्वम दिहाड़ी मजदूरी करते थे। जिसमें उन्हें प्रतिदिन 100 रुपये मिलते थे। लेकिन उनके सपने बड़े थे। उन्होंने बेटे को पढ़ाने में कसर नहीं छोड़ी।
बातचीत में कबीलन ने बताया कि उनके लिए इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं था। वह कहते हैं, मैं कई बार असफल हुआ। लेकिन मुझे आर्मी ही ज्वाइन करनी थी। यह सिर्फ़ मेरी व्यक्तिगत सफलता नहीं है; यह उन सभी की है जो भारतीय सेना में शामिल होना चाहते हैं। अगर मेरे जैसा कोई व्यक्ति, जो एक दिहाड़ी मज़दूर का बेटा है और जो प्रतिदिन 100 रुपये कमाता है, ऐसा कर सकता है, तो कोई भी ऐसा कर सकता है।
कबीलन की स्कूलिंग उनके गांव के स्कूल में ही हुई है। इसके बाद उन्होंने अन्ना यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की। उन्होंने साथ में एनसीसी भी किया है।