चमोली, संवाददाता विनोद पांडे। जिला चमोली के देवराडा गांव के ग्रामीण इन दिनों अपनी पहचान और अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। उत्तराखंड सरकार द्वारा नगर पंचायत में शामिल किए जाने के बाद से ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी हरीश सती ने ग्रामीणों को न्याय दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की भी तैयारी शामिल है।
क्या है पूरा मामला?
देवराडा गांव को उत्तराखंड सरकार ने बिना ग्रामीणों की सहमति के नगर पंचायत में शामिल कर लिया था। इस मनमानी कार्रवाई के विरोध में ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का पूर्ण बहिष्कार किया और साथ ही नगर पंचायत का भी बहिष्कार जारी रखा है, जिसके चलते इस क्षेत्र से कोई पार्षद नहीं है। नगर पंचायत में शामिल होने के बाद से ग्रामीणों को अपने कई छोटे-बड़े कामों, विशेषकर अभिलेखों से जुड़े कार्यों के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है, जिससे उनकी समस्याएं और बढ़ गई हैं।
हरीश सती की पहल
राज्य आंदोलनकारी हरीश सती ने ग्रामीणों की इस दुर्दशा को देखते हुए उन्हें पुनः ग्राम सभा में शामिल करने की मांग उत्तराखंड सरकार से की है। उनकी इस पहल के बाद, जिलाधिकारी चमोली ने मामले की जांच कर अपर सचिव शहरी विकास अनुभाग-3 उत्तराखंड, निदेशक शहरी विकास और निदेशक पंचायती राज को पत्र भेजा है। हालांकि, अभी तक इन विभागों की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
हरीश सती ने राज्य निर्वाचन आयोग देहरादून को भी देवराडा के ग्रामीणों की समस्या से अवगत कराया है और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा है।
उच्च न्यायालय में याचिका की तैयारी
अब, जब सरकारी स्तर पर कोई त्वरित कार्रवाई नहीं हो रही है, तो ग्रामीणों ने हरीश सती के साथ मिलकर माननीय उच्च न्यायालय में शीघ्र याचिका दायर करने का मन बना लिया है। ग्रामीणों का मानना है कि इस स्थिति के लिए उत्तराखंड सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार होगी।