हल्द्वानी : उत्तराखंड में के राजकीय महाविद्यालयों में 766 पद रिक्त चल रहे हैं। जो स्वीकृत पदों से 33 प्रतिशत से भी अधिक है। वहीं, राज्य गठन के 22 वर्ष में भी अंग्रेजी के 50 और हिंदी जैसे विषयों के 30 प्रतिशत से भी अधिक शिक्षकों के पद नहीं भरे जा सके हैं। जिस वजह से विद्यार्थी पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
प्रदेश भर में 119 राजकीय महाविद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। जिनमें 2311 पद स्वीकृत हैं। परंतु सिर्फ 1545 पदों पर ही नियमित शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। जबकि 766 रेगुलर शिक्षकों के पद रिक्त हैं। इसके अलावा संविदा के तहत 39, गेस्ट के तहत 113 और अन्य शिक्षक 373 शिक्षक अस्थायी पदों पर नियुक्त किए
अंग्रेजी पढ़ाने के लिए स्वीकृत 177 पदों में से 90 और हिंदी पढ़ाने के लिए स्वीकृत 212 पदों में से 65 रेगुलर शिक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं। जिसके चलते विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण विषयों को पढऩे के लिए शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं। जिसका खामियाजा उन्हें परीक्षा परिणाम में भुगतना पड़ता है।
उपनिदेशक उच्च शिक्षा डा. आरएस भाकुनी ने बताया कि पहाड़ के कालेजों में शिक्षकों के पद अधिक रिक्त हैं। महाविद्यालयों के प्राचार्यों को अस्थायी तौर पर रिक्त पदों को भरने का अधिकार दिया गया है। इसके लिए लगातार विज्ञप्तियां भी जारी हो रही हैं।