Ukraine में फंसे भारत के ज्यादातर छात्र वहां डॉक्टरी (MBBS) medical की पढ़ाई कर रहे थे। इसलिए कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि यूक्रेन में ऐसा क्या है कि वहां इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने जाते हैं? आइए आपको बताते हैं इसका कारण।
दरअसल भारत में मेडिकल (MBBS) की पढ़ाई करना मुश्किल भी है और काफी महंगा भी है। हमारे देश में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए छात्रों को NEET की परीक्षा देनी होती है। हर साल औसतन 15 लाख छात्र NEET की परीक्षा देते हैं, जिनमें से लगभग 7.5 लाख छात्र ही इसमें पास हो पाते हैं। यानी Passing Percentage 48% के आसपास होता है। NEET की परीक्षा में फेल हो जाते हैं और उन्हें मेडिकल कॉलेजों में Admission नहीं मिल पाता।
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हमारे देश के सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में कुल मिला कर 1 लाख 10 हजार सीट्स मौजूद हैं। यानी NEET की परीक्षा में पास तो 7 लाख छात्र होते हैं लेकिन दाखिला केवल 1 लाख 10 हजार बच्चों को ही मिलता है और इस तरह लगभग 14 लाख छात्र मेडिकल कॉलेजों में दाखिला ही नहीं ले पाते।
अब, ये छात्र जाएंगे कहां, क्योंकि इन्हें तो मेडिकल की पढ़ाई करनी है। इसलिए ये यूक्रेन (Ukraine) जैसे देशों का रुख करते हैं। हालांकि इसके पीछे फीस भी एक बड़ी वजह है।
भारत के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में MBBS की पढ़ाई का 1 साल का खर्च 3 लाख रुपये है। जबकि प्राइवेट कॉलेजों में 1 साल का यही खर्च औसतन 20 लाख रुपये है। ऊपर से प्राइवेट कॉलेजों में छात्रों के माता-पिता को Donations भी देनी पड़ती है, जो लाखों रुपये में होती है।
कुल मिला कर देखें तो भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में MBBS की 5 साल की पढ़ाई का खर्च 1 करोड़ रुपये है। जबकि यूक्रेन में यही खर्च सिर्फ 35 लाख रुपये है। इसका मतलब ये है कि भारत में मेडिकल की पढ़ाई करना मुश्किल भी है और महंगा भी। जबकि यूक्रेन में हमारे देश के छात्र कम खर्च में MBBS और मेडिकल की दूसरी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं।
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