HMPV Virus: Covid-19 महामारी से दुनियाभर में लंबा लॉकडाउन लगा रहा और लाखों लोगों की मौत भी हुई। लगभग 4 साल बाद इस महामारी से उबरने के बाद चैन की सांस ली ही थी कि अब एक और वायरस ने दुनियाभर में चिंताएं बढ़ा दी हैं।
दरअसल, रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन घातक कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चार साल बाद एक और महामारी से जूझ रहा है। इस महामारी का कारण एक वायरस है जिसका नाम है, ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV)।
यह भी पढ़👉 Sarkari Naukri: उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 103 पदों पर निकाली सीधी भर्ती, जाने अपडेट (click here)
HMPV Virus वायरस के कारण कई देश इसके प्रसार पर निगरानी रख रहे हैं। दुनिया के साथ भारत ने भी इस पर निगरानी रखनी शुरू कर दी गई है। अब बेंगलुरु के अस्पताल में आठ महीने की बच्ची में HMPV वायरस डिटेक्ट किया गया है।हेल्थ डिपार्टमेंट का कहना है, ‘हमने हमारी लैब में इसका टेस्ट नहीं किया है। यह रिपोर्ट एक प्राइवेट हॉस्पिटल की है।
रिपोर्ट के अनुसार, HMPV इन्फ्लूएंजा ए, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और कोविड-19 जैसे कई वायरस के साथ मिलकर तेजी से फैल सकता है। ऐसे में सभी के लिए यह जानना काफी जरूरी हो जाता है कि आखिर यह वायरस क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इस बारे में एक्सपर्ट का क्या कहना है। तो आइए विस्तार से जानते हैं।
US सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) 2001 में खोजा गया था। यह HMPV न्यूमोविरिडे फैमिली से संबंधित है जो एक रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) की ही फैमिली है। यह आमतौर पर ऊपरी और निचले श्वसन संक्रमण का कारण बनता है जो सामान्य सर्दी या फ्लू के समान लक्षण पैदा करता है। हालांकि एक्सपर्ट का कहना ये भी है कि कुछ सीरोलॉजिकल सबूत बताते हैं कि यह वायरस कम से कम 1958 से दुनिया में फैला हुआ है।
CDC के अनुसार, यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है जिसमें छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग इसके संक्रमण के सबसे अधिक खतरे में होते है।
कितना खतरनाक है ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV)?
चीन में अधिकांश संक्रमण 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में हुआ, जिनमें से कई मामलों में उनकी गंभीरता के कारण अस्पताल में भर्ती होने क आवश्यकता पड़ी। इन लक्षणों में लगातार खांसी और बुखार से लेकर ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया जैसी अधिक गंभीर स्थितियां शामिल थीं। अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों से इसकी समानता के कारण इसकी पहचान और इलाज मुश्किल हो सकता है।