गुलदार, बाघ, हाथी, भालू और सुअरों के बढ़ते हमलों को लेकर लोगों में गुस्सा भी पनप रहा है। पिछले साल जंगली जानवरों की वजह से 59 लोगों को जान गंवानी पड़ी, जबकि 225 घायल हुए। इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक गुलदार साबित हो रहे हैं। इस अवधि में नरभक्षी गुलदार 22 लोगों को निवाला बना चुके हैं।वहीं, 60 व्यक्ति इनके चंगुल से बामुश्किल बच पाए।
इस वर्ष अब तक गुलदार सात लोगों को मार चुके हैं। गढ़वाल और पिथौरागढ़ डिवीजन से सबसे ज्यादा दहशत लोगों में गुलदारों की वजह है। गुलदार इतने खूंखार होते जा रहे हैं कि वे घर के आंगन से ही बच्चों को उठा ले जा रहे हैं।
विभागीय अफसर भी इस घटनाओं पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं।पिछले दिनों वन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भी इस पर कड़क तेवर दिखाए थे और गुलदार के बच्चों को निवाला बनाने पर डीएफओ और रेंजर को जिम्मेदार ठहराने के निर्देश दिए थे। लेकिन विभाग स्तर से अभी इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
उधर, विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि आदमखोर गुलदारों का आंतक खत्म करने के लिए विभागीय अफसरों को उन्हें ट्रेंकुलाइजर करने के निर्देश दिए हैं। यदि किसी वजह से इसमें सफलता नहीं मिलती तो ऐसे गुलदारों को आदमघोर घोषित करने को कहा गया है।
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