HomeNational NewsUP चुनाव से पहले उठाये गये 5 मुद्दे, जो दिलाते हैं सत्ता

UP चुनाव से पहले उठाये गये 5 मुद्दे, जो दिलाते हैं सत्ता

राष्ट्र की सुरक्षा’, ‘हिंदुत्व’ और ‘धर्म’ ये तीन ऐसे शब्द हैं, जो यूपी में इन दिनों खूब सुनाई दे रहे हैं। यूपी में इसके पहले 2017 में चुनाव हुए थे। उसके एक साल पहले से, यानि 2016 में भी इन्हीं शब्दों की गूंज थी। अब 2022 में चुनाव हो रहे हैं। लेकिन ठीक एक साल पहले, यानी 2021 से ही ये शब्द सुर्खियों में रहने लगे और अब तक हैं।

तो क्या ये इत्तेफाक है?
इसे समझने के लिए हमने दोनों ही चुनावी साल से एक साल पहले, यानी 2016 और 2021 की घटनाओं और मुद्दों के पैटर्न का एनालिसिस किया। इससे पता चलता है चुनाव के एक साल पहले से एक ही तरह के मुद्दे जानबूझकर उठाए जाते हैं और माहौल बनाने की कोशिश होती है। इस एनालिसिस को पढ़ने के पहले ‘चुनाव में सबसे ज्यादा जरूरी कौन से मुद्दे होने चाहिए’ इस सब्जेक्ट पर पोल में भी अपना मत दीजिए।

2017 में हुए चुनाव के पहले एक साल से कौन से मुद्दे सुर्खियों में थे?

1. सर्जिकल स्ट्राइक: 29 सितंबर 2016 को पाकिस्तान में घुसकर भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की। इसे 18 सितंबर 2016 को जम्मू और कश्मीर के उरी सेक्टर में LOC के पास स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले के जवाब के तौर पर प्रचारित किया गया।

2. अखलाक लिंचिंग: 2 सितंबर 2015 में नोएडा के दादरी में बीफ रखने के आरोप में अखलाक की लिंचिंग की गई। लिंचिंग करने वाले बजरंग दल से थे। यह मुद्दा 2017 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव तक हावी रहा। इसमें पक्ष और विपक्ष दोनों उग्र रहे। स्लॉटर हाउस बंद करने के आदेश दिए गए। करीब दो साल गाय का मुद्दा राजनीति के केंद्र में रहा। योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो सबसे पहले स्लॉटर हाउस बंद किए गए।

3. हिंदू पलायन: जून 2016 में भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने पश्चिमी यूपी के कैराना से हिंदू पलायन के मुद्दे पर 346 लोगों की एक लिस्ट जारी की थी। यह मुद्दा पूरे यूपी चुनाव में छाया रहा।

4. अयोध्या मंदिर मुद्दा: अयोध्या का मुद्दा केंद्र में रहा। 2016 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने कहा– ‘अगर भाजपा राज्य में पूर्ण बहुमत से आती है तो अयोध्या में मंदिर बनेगा।’ विश्व हिंदू परिषद ने इसे जमकर प्रचारित-प्रसारित किया।

5. देवबंद को आतंकी गढ़ साबित करने की कोशिश: पश्चिमी यूपी के भाजपा नेता सुरेश राणा 9 फरवरी 2016 में देवबंद गए। वहां उन्होंने एक जनसभा में कहा, पठानकोट हमले की साजिश में दारुल उलूम शामिल था। दारुल उलूम यानी भारत में मौजूद दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामिक एजुकेशन सेंटर।

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