दून के राजकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल मलारी में काष्ठकला का एक भी छात्र नहीं है, लेकिन यहां एलटी कैडर के शिक्षक नियुक्त हैं। पौड़ी के जीआईसी स्यूंसी के कृषि विज्ञान विषय में भी छात्र संख्या शून्य है, लेकिन यहां भी शिक्षक लंबे समय से तैनात हैं।
दून और पौड़ी के ये दो स्कूल महज उदाहरण हैं। उत्तराखंड के दर्जनों स्कूलों में कई विषयों के छात्र न होने के बावजूद शिक्षकों को तैनाती दी जा रही । नतीजा यह है कि जिस एलटी और प्रवक्ता कैडर के शिक्षक पर सरकार हर महीने 60 से 90 हजार तक वेतन खर्च रही, उसका कोई लाभ ही नहीं मिल रहा। गढ़वाल मंडल अपर निदेशक-माध्यमिक महावीर सिंह बिष्ट की ओर से जारी लिस्ट में यह तस्वीर सामने आई है। सूत्रों के अनुसार, अपने विषय में छात्र नहीं होने से ये शिक्षक दूसरे विषयों की पढ़ाई में सहायता कर रहे हैं। जिन स्कूलों में इनके विषयों के छात्र हैं, वहां कई जगह शिक्षक ही नहीं हैं। इधर, डीजी-शिक्षा बंशीधर तिवारी के अनुसार, ऐसे सभी स्कूलों और शिक्षकों को चिह्नित कर दूसरे स्कूलों में समायोजित किया जा रहा है। इसके निर्देश दे दिए गए हैं।