देहारादून। उत्तराखंड चुनाव के रिज़ल्ट आए पूरा महीना होने को है और कांग्रेस (Uttarakhand Congress) अहम फैसलों में पिछड़ गई है। धामी सरकार बन गई, मंत्रिमंडल का गठन हो गया और विधानसभा का एक सत्र भी हो गया, लेकिन राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) के पास न तो प्रदेश अध्यक्ष है और न ही विधानसभा में नेता विपक्षी दल। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल दिल्ली से लौटकर कह रहे हैं कि जल्द ऐलान होगा। हालांकि लॉबिंग से पार्टी कन्फ्यूज़ है, एक दूसरे के खिलाफ बयानबाज़ी पर उतारू कांग्रेसी ये मानने को तैयार नहीं हैं।
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उत्तराखंड कांग्रेस (Uttarakhand Congress) बिना सेनापति के आगे की रणनीति नहीं तय कर पा रही। चुनाव के दौरान पार्टी अध्यक्ष रहे और चुनाव परिणाम आने के बाद इस्तीफा देने वालों में सबसे आगे रहे गणेश गोदियाल दिल्ली में तमाम नेताओं से मुलाकात के बाद लौटकर आश्वस्त हैं कि उनके लिए आगे अच्छा ही होगा। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कैंप के माने जाने वाले गोदियाल को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की पैरवी कांग्रेस का एक धड़ा कर रहा है और इसके लिए तर्क भी दे रहा है।
6 बार के विधायक प्रीतम सिंह जो इस पद पर रह चुके हैं, उनका कहना है कि वह दावेदार नहीं और फैसला पार्टी पर है। कांग्रेस के केंद्रीय नेता अश्वनी पांडे उत्तराखंड आकर नेताओं की नब्ज़ टटोल चुके हैं। सूत्रों के अनुसार कोई ताज्जुब नहीं होना चाहिए कि प्रदेश अध्यक्ष या नेता विपक्षी दल में से किसी एक पद पर किसी दलित विधायक की भी ताजपोशी हो जाए।
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